श्री सिद्ध रघुनाथ मंदिर गाथा
सन् 1987-88 में तत्कालीन राजस्व मंत्री माननीय श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा, पूर्व मंत्री माननीय श्री नरसिंहस्व दीक्षित, श्री गोरेलाल शुक्ल, श्री एन.बी. लोहानी, श्री कृपाशंकर शर्मा एवं श्री वीरेन्द्र तिवारी की पहल पर | माननीय मुख्यमंत्री श्री सुंदरलाल पटवा के मुख्यमंत्रित्व काल में पौने दो एकड़ भूमि प्रतिष्ठानको नि:शुक्ल आवंटित की गई। भूमि पर लगभग 86 झुग्गियों का कब्जा था तथा अदालत का स्थगन आदेश भी था। सन | 87-89 में सचिव श्री रमाकांत दुबे के विशेष प्रयासों से भोपाल तथा जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा स्थगन आदेश को निरस्त करवा कर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। झुग्गियों को हटाया जाना असंभव था किन्तु सचिव श्री एन.बी. लोहानी तथा उपसचिव श्री एस.पी.दुबे की सहायता से मुख्यमंत्री कार्यालय से अधिग्रहण संबंधी आदेश आयुक्त एवं पुलिस | महानिदेशकको जारी किये गये।
श्री श्रीमोहन शुक्ला उपमहानिरीक्षक (पुलिस) तत्कालीन कलेक्टर श्री डी.के. जैन एवं नजूल अधिकारी श्री कवींद्र क्रियावत की सहायता से वैकल्पिक भूमि उपलब्ध करा दिये जाने पर अतिक्रमण हटाये गये जो एक सुखद संयोग था। विघ्न फिर भी आये पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री श्यामाचरण शुक्ल के निर्देशों पर अंतत: यह भूति प्रतिष्ठानको सौंपी गयी।
भूमि का कब्जा लेते समय अतिक्रमणकर्ताओं ने आपत्ति की क्योंकि भूमि के एक छोर पर छोटी राममढ़िया थी जिसमें केवट प्रसंग की मूर्ति थी। | चूंकि शासन के आदेश स्पष्ट थे अत: आपत्तिकर्ताओं को समझाया गया कि भूमि तो उन्हें खाली करनी ही पड़ेगी किन्तु जहां तक मढ़िया में पूजा पाठ
का प्रश्न है वे बेरोकटोक दिन में किसी भी समय तथा संध्या 6:00 से प्रातः | 8:00 बजे के बीच पूर्व स्वीकृति प्राप्त करपूजा हेतु आ जा सकेंगे।
सन 2003 में मानस भवन के लोकार्पण हेतु पधारे परम पूज्य स्वामी सत्यमित्रा नंद ने मढ़िया के दर्शन किये। वे सहसा कह उठेदेखिये ये | आदिवासी कितने चतुर है जो उन्होंने श्री रामभद्र के साथ-साथ अपने प्रतिनिधि के रूप में केवट को भी रखा है। महाराजश्री ने कहा कि यह अत्यंत पवित्र संयोग है, जहां परम ब्रम्हा है, जीव के रूप में केवट और तारणहार के रूप में माँ गंगा विद्यमान है। महाराजश्री का आग्रह था कि मढिया की जगह एक अच्छा मंदिर बनाया जाए।
सन् 2008 में किंकर समागृह के लोकार्पण पर परमपूज्य स्वामी सत्यमित्रानंदजी पुनः पधार तो मढ़िया को देखकर उन्होंने चिंता व्यक्त की। आर्थिक अभाव की समस्या बतायी गयी। उन्होंने कहा कि “मानस भवन बना है तो उससे बहुत कम व्यय पर भगवान का घर बन सकता है। आर्थिक कठिनाई से अधिक संकल्प की कमी है। काम तो शुरू करें भगवान अपने कार्य स्वयं पूरा कराते है।'
संतों की वाणी में आशीर्वाद होता है इसका आभास तब हुआ जब | आर्थिक कठिनाई के बाद भी मात्र 4 माह से कम समय में न केवल जयपुर के वरिष्ठ मूर्तिकार द्वारा निर्मित श्री रघुनाथ मंडल की मूर्ति प्राप्त | हुई बल्कि मंदिर का निर्माण पूरा होकर श्री रघुनाथ मंडल की प्राण-प्रतिष्ठा भी हो गई। यह मंगल कार्य श्रीश्री 1008श्री जगद्गुरु अनंत श्री विभूषित स्वामी दिव्यानंद जी तीर्थ ( पीठाधीश्वर भानपुरापीठ, मंदसौर) द्वारा संपन्न हुआ।
यह महती कार्य वगैर जनसहयोग के असंभव था। अतः हम सब | उन महानुभवों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं जिन्होंने इस कार्य के | लिए अमूल्य अपना सहयोग प्रदान किया।
श्री सिद्ध रघुनाथ सेवा व्यवस्था
श्री सिद्ध रघुनाथ सेवा मंदिर की सेवा की दानराशि एवं अवधि का विवरण पृष्ठ3-4 पर दिया गया है। | सेवा क्र. 1-12 तक दैनिक, मासिक एवं वार्षिक सेवा है। आवश्यकतानुसार श्री रघुनाथ मंदिर सेवा मंडल द्वारा ये सेवाएं दानदाता द्वारा बताई गई तिथियों पर नियमित की जाती है। | सेवा क्रमाक 14-15 एवं 16 में वर्ग के अनुसार दानवीर द्वारा निर्देशित तिथियों पर विभिन्न आयोजन लगातार 20 वर्षों तक किये जाते हैं। दानवीर सदस्यों को सूचना भी दी जाती है जिससे वे सुविधानुसार स्वतः उपस्थित हो सकें। बीस वर्षों के बाद नियमित पूजा अर्चना की जाती है।
* विशेष
1. रुद्राभिषेक/रामाभिषेक, वर्ष में कुल 12 एकादशी या पूर्णिमा के | लिये वर्ष की दान राशि रु. 50,000/2. वर्ष में एकादशी एवं पूर्णिमा के लिये कुल 24 दिन वर्ष की दान राशि 10,10,000/
श्री सिद्ध रघुनाथ मंदिर सेवा मंडल
माननीय श्री रघुनाथ शर्मा ( पूर्व सांसद)-दिशा दर्शक माननीय श्री राजेन्द्र शर्मा ( प्रमुख न्यासी समन्वय परिवार)-दिशा दर्शक श्री रमाकांत दुबे, कार्याध्यक्ष, तुलसी मानस प्रतिष्ठान म.प्र.-अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंहल-संयोजक श्रीमती सुशीला शुक्ला, प्रतिनिधि तुलसी मानस प्रतिष्ठान म.प्र.-सदस्य श्रीमती जानकी देवी शुक्ला, संयोजिका, महिला मानस मंच-सदस्य श्री अशोक दुबे, दानदाता प्रतिनिधि-सदस्य श्री शैलेन्द्र निगम-दानदाता प्रतिनिधि-सदस्य पंडित शिवदत्त मिश्र-सदस्य
प्रधान पुजारी : वेदाचार्य पं. अनिल तिवारी ‘रुद्र',
मो. 9893191230 नि: शुल्क वेद (विद्यालय) अध्यापन • शुक्ल यजुर्वेद संहिता • कर्म काण्ड
जब जानकी नाथ सहाय करें तब कौन बिगाड़ करे नर तेरो