1). ‘रामचरित मानस' के प्रचार और प्रसार द्वारा
(एक) आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक और भावनात्मक पक्षों को बल देना;
(दो) जनसाधारण का नैतिक उत्थान करना तथा उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक रचनात्मक कार्यों की ओर उन्हें प्रेरित करना;
(तीन) तुलसी साहित्य के प्रति जन आस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य में मानस केन्द्रों /मानस मंडलों की स्थापना करना।
2). रामचरित मानस और तुलसी साहित्य पर देश-विदेश की भाषाओं में प्रकाशित साहित्य का संकलन करना तथा शोधार्थियों और रुचिशील पाठकों को उपलब्ध कराना।
3). विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को रामचरित मानस के अध्ययन की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रतियोगिताएँ आयोजित करना।
4). रामचरित मानस और तुलसी साहित्य पर शोध को प्रोत्साहित करना।
5). जिला मुख्यालयों पर स्थानीय संस्थाओं को मानस भवन के निर्माण के लिये प्रेरित करना।
6). मानस प्रसार में संलग्न संस्थाओं से संपर्क स्थापित करना तथा उनसे निरंतर सहयोग करना।
7). आदिवासी क्षेत्रों में मानस के प्रचार के लिए विशेष प्रयास करना और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आवश्यक स्थानीय संगठन बनाना।