प्रारंभ में रामचरित मानस चतुश्शताब्दी समारोहों की सूचना देने के लिए प्रतिष्ठान की मुख पत्रिका के रूप में 'मानस समाचार' का प्रकाशन किया गया था जिसे चतुश्शताब्दी समारोह की समाप्ति के बाद साहित्यिक स्वरूप देकर उसका अभिधान ‘मानस भारती’ कर दिया गया। भारतीय समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार नई दिल्ली के आग्रह पर यह अभिधान बदलकर “तुलसी मानस भारती’’ कर दिया गया।
सन् 1995 तक श्री गोरेलाल शुक्ल पत्रिका के संपादक रहे। उनके स्वर्गवास के पश्चात् यह गुरुतर कार्य डॉ. प्रभुदयालु अग्निहोत्री ने संभाला।
तुलसी मानस भारती को देश के मूर्धन्य विद्वान लेखकों, मनीषियों, अध्येताओं एवं शोधकर्ताओं का सहयोग निरंतर मिल रहा है। पाठक वर्ग इसे एक उत्कृष्ट आध्यात्मिक पत्रिका मानता है। तुलसी मानस भारती की संपूर्ण व्यवस्था अवैतानिक है।
२००६ से मई २०२० तक श्री अन एल खंडेल वाल प्रधान संपादक रहे । वर्तमान में जून २०२० से श्री प्रभुदयाल मिंश्र प्रधान संपादक और श्री देवेन्द्र रावत, संपादक के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं ।
पत्रिका के लिये निम्न महानुभाव परामर्शदाता हैं -
१. श्री रमेशचन्द्र शााह
२. श्री विजयदत्त श्रीधर
३. श्री राजेन्द्र जी शर्मा
४. श्री रमेश शर्मा